Tuesday, February 22, 2011

चिठ्ठी

उस आधी चिठ्ठी में तुमने ऐसा क्या लिखा था

जो अभी भी तुमने सम्भाल के रखा है . ....

रोज़ उठा के उसे पढ़ती हो, आँख से छूती हो ...

और फिर से उसे अपनी तकिये के नीचे रख देती हो ...

उस तकिये पे मेरा नाम बड़ा अच्छा काढ़ा है तुमने ...

जब तुम तकिये पे सर रख के सो जाती .....

और मैं तुम्हारे ख्यालों में अपनी साइकिल से आता ....

खाली रास्तों पे जब हम दूर तक जाते और जब कभी थक जाते .....

तो किसी कुंवे के पास बैठ के अपनी परछाईयाँ देखा करते ....

सुबह में जब कोई साइकिल ले के आता और तुम्हारी नींद खुल जाती

तो तुम्हे ऐसा क्यों लगता की मैं आया हूँ ....

सच बोलो वो सपना तुमने भी देखा क्या ?...

फिर उठ के ये देख लेती की चिठ्ठी तो वँही है ना ...

शब्द गीनती लाइनों की ,कि कुछ कम तो नहीं हुवे हैं ....

उस आधी चिठ्ठी में अब कुछ और लिखो ...

कुछ उल्टी सीधी बात कहो ...

कुछ भूली बिसरी बात कहो ...

कुछ मीठे पल , कुछ कड़वे पल ...

जब हम साथ बैठ के मुन्गफलियाँ खाया करते थे ...

और मैं तुम्हे किस्से कह के, कहानियाँ सुनाया करता था ......

और तुम अजीब से एक्सप्रेसन के साथ सुना करती थी ....

वो सब मनगढ़न थी .... मैं तब भी फ़िक्सन कहता था ...

अभी भी फ़िक्सन लिखता हूँ ....

मेरी कलम झूट लिख के पैसे कमाती है ....

पर तुम तो सच कहती थी ...सच लिखती थी ...

तो आज फिर से लिखो ...वो दिन जब मैं झूट लिखा करता था ..

तुम्हारी कलम कि दवात सूख तो नहीं गई ....

मैंने पानी गरम किया है लाओ अपनी श्याही बनाये पक्की वाली ....

फिर आओ मेरे पास वो चिठ्ठी ले के कभी ...

फिर कुछ तुम लिखो कुछ हम लिखे ...

और उस आधी चिठ्ठी में कुछ और सफ़े जोड़े .....

Tuesday, February 1, 2011

चली है एक नाव

चली है एक नाव
कुछ ख्वाबों को सर पे लेके
दाम लिए हैं सबसे
और एक वादा किया है
उस पार पँहुचाने का
रास्ते में कंही कोई रोडब्रेकर नहीं
फिर भी नाव उछलती है हिलती है ...
रास्ते चलते हैं साथ-साथ
रास्ते में मिलते गए कुछ उड़ते पंछी
ख्वाब उनके भी थे उनके परों पर
और दूर तक सिर्फ धुन्ध और समन्दर था ख्वाबों का
फिर ख्वाबों ने ख्वाबों से बात किये .....
बहूत देर हो गई ख्वाबों के लहरों में .
अब भूख लगी है ख्वाबों को ...
सुना है उस पार एक रेस्टोरेंट है ख्वाबों का
ख्वाब खाएंगे ख्वाब पियेंगे
जब ख्वाबों से ख्वाब मिलेंगे
कुछ हकीक़त के लहरों पे
चली है एक नाव
कुछ ख्वाबों को सर पे लेके